ए सखी सुनली हैं
तुहरे पिया जी के बड़-बड़ अँखियां
ओपर बाटे भौहां जानदार
का करब ए सखी
बड़ बड़ अँखियां
जब निहारे नाहीं मुखड़ा हमार

ए सखी सुनली हैं तुहरे
पिया जी के घर
झरे मोतिया हजार
ए सखी का करब
मोतियन के हार
जब अँगना ना रहे पिया हमार

ए सखी सुनली हैं तुहरे
ननद भर बियाह भइल, घरे बा तुहरे राज
ए सखी का करब सून दुवरिया
ना कहीं केहू से जिया के हाल

ए सखी सुनली हैं
तुहरे गवनवा में
आइल रहे मोटर कार
ए सखी का करब केत्नो ठो
घोड़ा गाड़ी, जब घर ही में
कटे संझिया हमार